मेरी पहचान
मेरी पहचान
मेरा नाम पूजा है। मैं अभी B.sc करती हूं। मैं एक छोटे से गाँव की रहने वाली हूँ।हम 7 बहने हैं जिसमे मैं सबसे बड़ी हूँ । सब प्यार से रहते है।बस हमारे घर में एक ही चीज की कमी है वो है भाई ।
मेरे पापा छोटे से दुकानदार है और मेरी मम्मी गृहिणी।
मेरे पापा हम सबसे बहुत प्यार करते है।बस एक छोटी सी दुकान के साहारे अपना घर खर्च निकालते है।
मेरी दिनचर्या
जैसे की अब कॉलेज शुरू हो गए है तो अब कॉलेज जाना शुरू कर दिया।
सुबह सुबह जल्दी उठ कर पापा के लिए चाय बनाना क्योकि पापा सुबह सब्जि मंडी जाते है ।मेरी मम्मी रात को लेट सोते है इसीलिए मैं उनको नही जगाती। इसीलिए मम्मी अपनी मर्जी से उठते है। जब तक मम्मी उठते है इतने मैं काम करती हूँ। उसके बाद मेरा कॉलेज का टाइम हो जाता है,फिर कॉलेज की तैयारी कर के कॉलेज चली जाती हूं।कॉलेज से घर आने के बाद थोड़ी देर रेस्ट कर के फिर पापा की दुकान पर उनकी हेल्प करने चले जाते है।पापा बहुत थके हुए होते है तो वो भी रेस्ट करने घर चले जाते है।फिर मैं दुकान पर रहती हूं। मेरे घर आने के बाद थोड़ी देर पढ़ते हूँ। फिर मम्मी की हेल्प करती हूं। उसके बाद हम बहने मिल कर काम करती है और पढ़ती है। सारा घर का काम कर के फिर दोबारा पापा की दुकान पर चले जाते है और उनको सारा सामान सेट करवा के सभी घर आ जाते है। पापा के साथ बैठकर खाना खाते है और बाते करते है।अंत में सभी बातें करते करते सो जाते है। फिर सुबह 4बजे उठ कर पढ़ना होता है क्योंकि मम्मी कहते है कि ऑबह का पढा हुआ सारा दिन याद रहता है इसीलिए मैं सुबह जल्दी उठ जाती हूं ।
वैसे आज मेरा कॉलेज का पहला दिन था । सभी कॉलेज वाले दोस्त मिलकर बहुत सारी बाते की क्योकि आज हमारी कोई भी क्लास नही लगी। जिस दिन कॉलेज ऑफ होता है उस दिन हम सभी बहने मिल कर घर की अच्छे से सफाई करते है।
सच बोलू तो आज कॉलेज जाने का बिलकुल भी मन नही कर रहा था।आज कॉलेज जा कर बहुत अच्छा लगा क्योकि मेरे प्यारे दोस्त मिले।
कई बार सोचती हूं कि काश की मेरे पास भी होती तो पापा की भी हेल्प हो जाती,लेकिन आज के टाइम में बिना रिश्वत के जॉब भी नही है। अकेले पापा भी परेशान हो जाते है ,अगर भाई होता तो इतना संघर्ष नही करना पड़ता पापा,लेकिन मैं पूरी कोशिश करती हूं कि उन्हें बेटे की कमी महशुश न हो।
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