मेरा फोन-मेरी आपबीती कहानी
मेरा फोन
पता नही क्या हो जाता है?
जब मेरे से कोई यह पूछता है कि क्या आपको ,आपका फोन मिल गया?
पता नही क्यों लोग चोरी करते है,क्या उनके माता-पिता अपने बच्चों की यही परवरिश करते हैं?
मेरे मन में अजीब सी विचलन है कि शायद उसने चोरी कोई मजबूरी में आकर की है या उसकी आदत ही चोरी करना । अगर किसी को कुछ चाहिए तो मांग क्यों नही लेते,परंतु उसने चोरी क्यों की?मुझे खेद है कि उनके माता -पिता ने ऐसी परवरिश की है।
मैंने एक महीना ही हुआ था फोन लिये, उस से पहले ही चोरी हो गया।आज के समय में टेक्निकल भी बहुत है,लेकिन बिना रिश्वत के कोई भी काम नही करता ।अगर रिश्वत देने के लिए रूपए होते तो,पता नही कब का फोन मिल जाता।
मेरा फोन भी पुराना ही था जो किसी और के नाम से था,उसके डाक्यूमेंट्स मिलना भी बहुत मुश्किल है,लेकिन दुर्गा शक्ति वाले ही कुछ कर सकते है।वो फोन का पता भी तब कर सकते हैं,जब उनके हाथ कोई डाक्यूमेंट्स लगे या उसी फोन फोन का अकाउंट मिलें,जोकि मुझे नही पता।मुझे फोन के बारे में नॉलेज कम है।नॉलेज भी तब होती जब वो चीज अपने पास हो। नॉलेज लेने के लिए ही तो फोन लिया था ,लेकिन अब फोन ही नही रहा तो ,नॉलेज कहा से आएगी।
आज का समय ऐसा है कि बिना कोई internet के काम ही नही चलता ,क्योकि हर कोई internet पर ही निर्भर है।अब तो academy में भी ऑनलाइन क्लासेज शुरू हो गई है।
आगे -आगे स्कूल और कॉलेज में भी ऑनलाइन क्लासेज शुरू हो जायेगी,लेकिन अभी टाइम लगेगा।
मैंने कभी सोचा नही था कि मेरा फोन भी चोरी हो जाएगा। इतनी टेक्निक होने के बाद भी मेरा फोन नही मिलेगा।अजीब बात तो ये है कि चोर को चोरी करते भी शर्म नही आई,उसके हाथ नही काँपने लगे।जिसने भी चोरी किया है फोन वो बहुत ही चतुर और साहसी है कि उसने किसी को पता भी नही लगने दिया।
काश!मैं चोर को पकड़ पाती।फोन जैसी डिवाइस बार बार नही खरीदे जाते।
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