समय के साथ समझ

मैं  हर समय मेरी परिवार के लिए  सोचती रहती हूँ। कई बार तो ऐसा लगता है कि मैं  ही मेरे  परिवार के लिए  सब कुछ  हूँ,लेकिन  ये केवल मेरी सोच है मेरी परिवार  वालों  की नहीं।  मैं  किसी के लिए बुरा नहीं  चाहती । मैं  चाहती हूँ कि  सब खुश रहे। मेरे  अकेले सोचने से क्या होता है???
अब मुझे लगता है कि मैं एक गलतियों का पिटारा हूँ। मुझे समझ नहीं  आता कि मैं  गलती  क्यों  करती हूँ?क्या मैं  गलती  जान बूझ कर करती हूँ  या अपने आप हो जाती है।
बहुत ही कम समय में  मुझे बहुत कुछ करना है,परन्तु  कैसे?
जब भी मैं  दूसरे  को देखती हूँ  मतलब कि जो व्यक्ति  अपनी जिंदगी  में  सफल हो गया है तो उसे देखकर लगता है कि मैं  भी अपनी जिंदगी जिंदगी में सफल हो  सकती हूँ। जो दूसरा कर सकता है  क्या मैं  नहीं  कर सकती 🤔🤔🤔🤔???
छोटी छोटी  खुशी के लिए  अपने आप को थोड़ी  सी  तकलीफ  उठानी पडती है । सिर्फ  अपनों को  खुश रखने के
लिए।
मैं  घर में मेरी  सब बहनों  से बङी हूँ,सब मुझे ही हर काम के लिए बोलते हैं,इसीलिए मुझे काम  भी करना  पङता  है। सारा दिन  काम या कालेज की पढ़ाई में निकल जाता है।



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